समय प्रदत्त जख्म का इलाज समय ही करता है…

A K Singh (CHH)

हर_युग में ज्योतिष में वर्णित 12 भावों से सम्बंधित पीड़ाएँ थीं और हर किसी को कमजोर ग्रह के काल में 12 वर्षों तक ग्रहों के दुष्प्रभाव को झेलना पड़ा… सतयुग में हरिश्चंद्र, त्रेता में राम, द्वापर में युद्धिष्ठिर इसके प्रमाण हैं… कलियुग में तो नाना प्रकार के कष्ट होने की बात धर्मग्रंथों में लिखी गयी है। आपको जब किसी प्रकार का कष्ट होता है, आप दौड़कर ज्योतिषी के पास जाते हैं… किस उम्मीद से जाते हैं? अगर समय की जानकारी के ख्याल से जाते हैं तो ठीक है, समय से उत्पन्न दुःख का निवारण समय ही करेगा… इस दुःख का निवारण कब तक होगा यह जानकारी चाहिए तो ठीक है, क्योंकि ज्योतिषी समय विशेषज्ञ होता है।

लेकिन अगर इस ख्याल से जाते हैं की ज्योतिषी किसी प्रकार के उपाय से, टोटके से, पूजा पाठ, यज्ञ याजन, रत्न धारण से आपका दुःख दूर कर देगा तो आप गलतफहमी में हैं… ज्योतिषी से अधिक उम्मीद न करें अन्यथा ठगे जाएंगे… सुख दुःख समय की रस्सी से गूँथा हुआ होता है, रस्सी सरकती जायेगी, सुख दुःख भी सरकता जाएगा… एक फिल्म की तरह हर दृश्य समय के साथ क्रमशः आते रहता है… फिल्म में एक साथ घृणा और प्रेम, हास्य और करुणा रस, सुख और दुःख नहीं आता है।

जीवन के बहुत सारे पहलू हैं, प्रत्येक का विशेषज्ञ ज्योतिषी नहीं हो सकता है… कल्पना करें:- एक ज्योतिषी का शरीर असाध्य रोग से ग्रस्त है, वह उसका इलाज रत्न धारण और यज्ञ याजन से नहीं करना चाहेगा… उस ज्योतिषी को रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के पास जाना ही पडेगा… अगर उसकी पुत्रवधु को संतान नहीं हो रहा है, तो सही कारणों का पता और समाधान के लिए डॉक्टर के पास ही जाना पड़ेगा क्योंकि शरीर से सम्बंधित किसी प्रकार के पेचीदगी की जानकारी डॉक्टर को है।

हाँ, ज्योतिषी समय विशेषज्ञ होने के कारण केवल इतना जान सकता है कि संतान प्राप्ति का योग कब है… अगर किसी पति पत्नी के बीच गंभीर मतभेद है, छत्तीस का आंकड़ा है, तलाक होने की नौबत आ गयी है तो उसका फैसला कोई न्यायाधीश ही करेगा।

कम मतभेद है तो कोई समाज शास्त्री बीच में दखल दे सकता है या कोई मनोवैज्ञानिक उनका काउंसलिंग कराकर सुलह करवा सकता है… हर विशेषज्ञ की अपनी भूमिका होती है… ज्योतिषी हर क्षेत्र का विशेषज्ञ नहीं हो सकता।

अगर किसी बुरे ग्रह की वजह से कुछ समय के लिए पति पत्नी में मतभेद हुआ है तो ज्योतिषी यह जरूर बता सकता है कि अमुक अवधि तक इस प्रकार का कष्ट रहेगा… ज्योतिषी किसी भाव से सम्बंधित कष्ट के प्रारम्भ, पराकाष्ठा और समाप्ति से सम्बंधित समय कि सुचना दे सकता है… कोई ज्योतिषी आधी रात को दिन के उजाले में परिवर्तित नहीं कर सकता है।

विज्ञान की जानकारी से पूर्व सूचना मिलती है… कई बार महासागर में उत्पन्न होनेवाले चक्रवाती तूफान की सूचना एक सप्ताह पूर्व मिल जाती है… अगर उस प्रदेश की जनता मौसम वैज्ञानिकों को कहे, इस तूफान से बचने का उपाय बताओ, अन्यथा तुम्हारी जानकारी देने का क्या फायदा?

तो मौसम विज्ञानी भी सोचता कि मै किन लोगों के फेर में पड गया… आने वाली मुसीबत की सूचना मिल गई, तो ईश्वर प्रदत्त अन्य धनात्मक शक्तियों का उपयोग करके मुसीबत से छुटकारा पाने का काम आपका है… आप अगर किसी से अधिक उम्मीद करेंगे तो कृपा बांटने वाले बहुत सारे सिद्ध पुरुष मिल जाएंगे और आप अवश्य ही ठगी के शिकार होंगे।

A K Singh (CHH)

“हाथ” आपकी बहुत सी समस्याओं का समाधान हैं। – Acharya Ekta (Reiki Grand Master)

जरा एक बार अपने हाथ के तरफ अच्छी तरह देखिए… क्या नजर आया आपको? इस सवाल के जवाब में बहुत से लोग कहेंगे हाथ की तरफ देखने से हाथ ही नजर आएगा। बात भी सही है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आपके यही दो हाथ आपकी बहुत सी समस्याओं का समाधान हैं।

हमारी किस्मत

ये बात तो हम जानते ही हैं, जो कि पूरी तरह सच भी है कि हमारी किस्मत हमारे इन्हीं हाथों में छिपी है। लेकिन क्या आप जानते हैं, आपके हाथ की अंगुलियों में कुछ ऐसे बिंदु होते हैं जिन्हें दबाने से ना सिर्फ आपके शरीर को बल्कि आपके मस्तिष्क को भी शक्ति महसूस होती हैं। ये बिंदु आपके मानसिक और शारीरिक संतुलन के साथ भी संबंध रखते हैं।

अंगूठा

सबसे पहले बात आपके हाथ के अंगूठे की। अंगूठे का संबंध सिरदर्द और मस्तिष्क में चल रही चिंताओं से है। अगर आपको भीतरी तौर पर उत्कंठा या बेताबी महसूस हो रही है या सिर में बहुत तेज दर्द है तो आप करीब 5 मिनट तक अपने अंगूठे को अपनी मुट्ठी से पकड़ें। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आपकी समस्या अवश्य सुलझा देगा।

तर्जनी अंगुली

अब बात तर्जनी अंगुली की। डर, भय और नाउम्मीदी या शर्मिंदगी जैसी भावना अगर आपके भीतर आने लगी हैं या फिर आपको कमर के दर्द से जूझ रहे हैं तो आप 5 मिनट तक अपनी तर्जनी अंगुली को दबाकर रखें। आपकी ये परेशानी जल्द ही दूर हो जाएगी।

मध्यमा अंग़ुली

मध्यमा अंग़ुली को 5 मिनट तक दबाकर रखने से आप अपनी थकान को कम कर सकते हैं। इसके अलावा बढ़े हुए रक्तचाप के अलावा क्रोध को कम करने में भी यह क्रिया फायदेमंद साबित होती है।

अनामिका अंगुली

अनामिका अंगुली की खास बात यही है कि इसे दबाने से आपके भीतर चल रही नकारात्मक बातें छूमंतर हो जाएंगी। अगर किसी तरह की नकारात्मक भावनाएं घर कर गई है तो उनसे भी छुटकारा मिलेगा। शांत रहिए और अपनी सांसों को गिनते हुए अपनी अनामिका अंग़ुली को 5 मिनट तक दबाकर रखें।

पिंक फिंगर

कनिष्ठिका या पिंक फिंगर, इसका संबंध आपके आत्मसम्मान, तनाव और घबराहट या अधीरता से है। अगर आपको लगता है कि इनमें से आपको कोई भी समस्या है तो आपको अपने हाथ की इस अंगुली को दबाकर रखना चाहिए।

हथेली की मालिश

दूसरे हाथ की अंगुली से अपनी हथेली की अच्छी तरह से मसाज कीजिए, साथ-साथ लंबी सांसें भी लें। विशेषज्ञों का कहना कि आपकी हथेला का मध्य भाग भावनाओं और संवेदनाओं से संबंध रखता है। नियमित तौर पर अपनी हथेली के मध्य भाग की मालिश करने से आपको तनाव और कब्ज आदि पेट संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।

#कलरथेरेपी_इन_ज्योतिषशास्त्र…

मनुष्‍य के जीवन में तो कृत्रिमता इतनी अधिक हो गयी है कि वह आज उपयोगी बातों को भी स्‍वीकार करने से परहेज करता है।

हममें से हर कोई प्रकृति का अभिन्‍न अंग हैं और संपूर्ण पारिस्थितिक संतुलन की आवश्‍यकताओं के अनुरूप हमारा अपना स्‍वभाव है। इसलिए लाख चाहते हुए भी हम अपने स्‍वभाव को नहीं बदल पाते। प्रकृति हर क्षेत्र में और हर मौसम में हमारी आवश्‍यकताओं के अनुरूप ही खाने पीने की व्‍यवस्‍था करती है। भूख लगने पर हम खाना और प्‍यास लगने पर हम पानी ही नहीं पीते, जब हमारे शरीर को खास वस्‍तु की आवश्‍यकता होती है, तो हम उस ओर भी आकर्षित होते है। मेडिकल साइंस भी मानता है कि हमारी जीवनशैली सहज रहे, तो हम अपने शरीर की आवश्‍यताओं के अनुरूप ही भोजन लेते हैं।

मनुष्‍य के जीवन में तो कृत्रिमता इतनी अधिक हो गयी है कि वह आज उपयोगी बातों को भी स्‍वीकार करने से परहेज करता है। पर प्रत्‍येक व्‍यक्ति अपनी आवश्‍यकता को अंतर्मन में कहीं न कहीं महसूस करता है। झारखंड प्रदेश ने प्राकृतिक चिकित्‍सा के विकास के लिए जब काम शुरू किया, तो इन्‍होने जंगली जानवरों के व्‍यवहार पर ध्‍यान देना आरंभ किया।

जब जानवर ठंड से परेशान होते हैं, तो किन खास औषधीय वनस्‍पतियों का प्रयोग करते हैं और जब उनके पेट में गडबडी होती है, तो किन खास वनस्‍पतियों का प्रयोग, इन सबके नि‍रीक्षण से प्राकृतिक चिकित्‍सा पद्धति को विकसित करने में बडी सफलता मिली।

‘ज्‍योतिष’ ग्रहों के प्रभाव को कम या अधिक करने के लिए कलर थेरेपी के महत्‍व को स्‍वीकार करता है। यदि व्यक्ति का जन्मकालीन

चंद्र कमजोर हो, तो उन्हें सफेद ,

बुध कमजोर हो , तो उसे हरे ,

मंगल कमजोर हो , तो उसे लाल ,

शुक्र कमजोर हो , तो उसे हल्के नीले ,

सूर्य कमजोर हो , तो उसे ईंट के रंग ,

बृहस्पति कमजोर हो , तो उसे पीले ,

तथा शनि कमजोर हो , तो काले रंग का अधिक प्रयोग कर उन ग्रहों के प्रभाव को परावर्तित किया जा सकता है।

#लेकिन_ध्यान_रहे… मजबूत ग्रहों की किरणों का अधिकाधिक प्रभाव आप पर पड़े, इसके लिए उससे संबंधित रंगों का कम से कम प्रयोग होना चाहिए।

अपने अध्‍ययन में हमने पाया है कि जन्‍मकालीन ग्रहों के कमजोर रहने पर जिस रंग की आवश्‍यकता शरीर को अधिक होती है , वह रंग हमारी पसंद बन जाता है। जबक‍ि जन्‍मकालीन मजबूत ग्रहों से संबंधित रंग हमारी पसंद में नहीं होते। इस तरह प्रकृति खुद ही हमें ग्रहों के प्रभाव से सुरक्षा दे देती है।

कभी कभी जो ग्रह जन्‍मकाल में मजबूत होते हैं , वे भी गोचर में कमजोर चलते हैं और इस कारण अस्‍थायी तौर पर कभी एकाध वर्ष , कभी एकाध महीने कभी एकाध सप्‍ताह और कभी दो ढाई दिनों तक उससे संबंधित समस्‍याओं को झेलने को जातक मजबूर होता है। ऐसी स्थिति में जातक उन रंगों का प्रयोग नहीं कर पाता , जो उनके लिए बेहतर होते हैं।

ग्रहों की किरणों को परावर्तित करने वाले रंगों का प्रयोग कर हम संबंधित ग्रहों के बुरे प्रभाव से बच सकते हैं। इस आधार पर सभी लग्‍नवाले अलग अलग प्रकार की समस्‍याओं से बचने के लिए भिन्‍न रंगों का प्रयोग कर सकते हैं , यह प्रयोग तब तक न करें , जब तक आप इन संदर्भों के अत्‍यधिक तनाव से न गुजर रहे हों। नीचे कमेंट बॉक्स में सभी लग्नों का विवरण विस्तार पूर्वक दिया गया है।

#ज्योतिष_में_कलरथेरेपी — A K Singh (CHH)

पितृदोष – A K Singh (Nirvaanam)

कई ज्योतिषी पितृ दोष के अलग अलग कारण और प्रकार बताते है, मैं प्रयास कर रहा हु कि सभी कारणों को आप सब से बता सकूँ… कुंडली का नवा भाव या घर धर्म, भाग्य, पिता से सम्बंधित है, मानव जीवन में इनमे से कुछ भी अव्यवस्थित हो जाए तो अत्यधिक कष्ट होता है।

पितृदोष के बारे में प्राचीन ग्रंथो में एक बात कही गयी है कि पितृदोष अकेला ऐसा दोष है जो सबसे अधिक नकारात्मक ऊर्जा को एकत्रित करता है यानि कुंडली के सभी दुःखो की पीड़ा एक साथ देने की क्षमता रखता है। इससे ग्रस्त लोग अक्सर व्यापार में हानि पाते है, पारिवारिक क्लेश, संतान की बीमारिया, घर में धूप का न आना, दिल में सदैव घबराहट बनी रहना, विवाह न होना, अकारण नौकरी छूट जाना इन सबका कारण आधुनिक विज्ञान से परे पितृदोष है। जीवन की लगभग आधी समस्याए आध्यात्मिक कारणों से होती है उन्ही मूलभूत आध्यात्मिक कारणों में से एक है मृत पूर्वजों की अतृप्ति के कारण वंशजों को कष्ट प्राप्त होना।

प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं, लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं, नवां भाव, नवें भाव का स्वामी ग्रह और चन्द्र राशि से नवें भाव का स्वामी यदि राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहलाता है। राहू के साथ सूर्य सर्वाधिक हानिकारक दोष बनाता है। कुछ विद्वान् सूर्य के साथ शनि होने पर भी इसको पितृदोष से जोड़ते है क्योकि धर्म और पिता का कारक सूर्य दोषयुक्त हो गया है… आप भी अपनी कुंडली का विश्लेषण कीजिये और पितृदोष के सरल उपाय जो महंगे नहीं है उससे दोषमुक्त हो सकते है।

हाँ एक बात रह गयी कुछ विद्वान् जातक के घर की दीवाल पर पीपल या बरगद का वृक्ष होने पर भी पितृदोष से ग्रसित मानते है।

कुंडली के प्रत्येक दोषों को जो बल मिलता है वो है “प्रारब्ध”, जो पूर्व जन्मो से उसको आप के लिए लेकर आता है….. गुरु ऋण, मातृ ऋण, भ्रात ऋण कई भेद है। आप का पाप और लालच यदि अभी भी जिंदा है तो इससे निकलना असंभव सा है… तो प्रिय मित्रो थोडा संतोष, समभाव को जागृत करो और दिए गए उपाय पूर्ण श्रद्धा से आत्मसात करो प्रभु कभी निष्ठुर नहीं है वो अवश्य ही आप पर कृपा करेंगे…

पहली समस्या तो आर्थिक है जिसके कारण लोग महंगा उपाय अर्थात षोडश श्राद्ध कर्म इत्यादि नहीं कर पाते… एक बात और समझ लीजिये आप पीड़ित है, आप को कष्ट है इससे छुटकारा पाना है तो आप स्वयं यत्न करे तो श्रेयस्कर है… कुछ उपाय जो आज दे रहा हूँ वो अत्यधिक प्रभावशाली है (आप यदि चाहते है कि मन्त्र सही प्रभाव दिखाए तो उसके पूर्व… उस मन्त्र का व उसके अधिपति देवता का आह्वान सच्चे मन से करे)

  1. ब्रह्मपुराण में दिए गए निम्न पितृ गायत्री मन्त्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करे
    देवताभ्यः पित्रभ्यश्च महा योगिभ्य एव च
    नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ||
    आप साधारण गायत्री मन्त्र में भी वही आवृतिया प्राप्त कर सकते है उसकी 2 मालाये करनी होगी।
  2. पितृदोष से यदि आपकी संतान को पीड़ा होती है तो उसके लिए हरिवंश पुराण खरीद लाइए और नित्यप्रति उसका पाठ कीजिये।
  3. पितृस्त्रोत की पुस्तक ले आइये और उसका पाठ कीजिये (मार्कन्डेय पुराण कृत)
  4. अपने पूर्वजो की फोटो को अमावस्या के दिन घर की दक्षिणी दीवाल पर स्थापित कीजिये और हो सके तो उस दीवाल पर कोई भी पेंटिंग या अन्य फोटो न लगाये… उनको ताज़े गुलाब या सुगन्धित पुष्प की माला समर्पित कीजिये उनसे हाथ जोड़ कर पूर्व कर्मो के लिए करबद्ध प्रार्थना कीजिये ये क्रम अगली तीन माह तक कीजिये। आपके गृह कलेश समाप्त होंगे और घर की रौनक फिर से वापस आ जायेगी।
  5. शिवलिंग का अभिषेक कच्चे दुग्ध व जल से करे उसके पश्चात भस्म व श्वेत चन्दन से श्रृंगार करे।
  6. एक बेहद सरल और चमत्कारिक उपाय ये है कि एक सुनसान स्थान के पीपल वृक्ष के आस पास आप सफाई करे उसको रोज़ जल अर्पित करे व उसको स्पर्श करके अथवा गले मिलने वाली मुद्रा में पकड़ कर “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मन्त्र का जाप करे ……. अवश्य ही लाभ होगा।
  7. सबसे अच्छा और पारमार्थिक उपाय ये भी है कि पीपल या बरगद के वृक्ष भाद्रपद अमावस्या के दिन लगाये व उसकी देखभाल अपने शिशु की तरह करे… जैसे जैसे वृक्ष बड़ा होता जायेगा आपकी उन्नति होती जायेगी।
  8. गर्मी का मौसम चल रहा है अपने पूर्वजो के नाम से एक छोटा प्याऊ खोल दीजिये… जितने राहगीर शीतलता पाएंगे आपका उतना ही दुर्भाग्य समाप्त होता जाएगा।

सारांश ये है कि पितृ ये चाहते है “मेरी संताने या वंशज सुकर्म करते रहे …. जिसके आभाव से ही दोष उत्पन्न होते। ईश्वर ने बड़े अदृश्य तार जोड़े है जो पूर्वजन्मों के साथ भी जुड़ते है… कभी कभी आप किसी की यूं ही मदद कर देते है या आपकी कोई बिना पहचान के मदद कर देता है… अकस्मात… वास्तव में यही संचित पुण्यकर्म या प्रारब्ध है जो फलीभूत हुए है… अनुभव कीजिये इनका।

Note:- यदि आपको को ज्ञात है कि आपकी कुंडली में पितृदोष है तो कभी भी पड़ने वाली सोमवती अमावस्या को पीपल के वृक्ष को प्रभु श्रीहरि विष्णु के नाम से जनेऊ अर्पित करे और 108 प्रदक्षिणा के साथ कुछ भोग अर्पित करे… श्रद्धा व प्रायश्चित भाव से अपने पूर्व जन्मो में किये गए दुष्कृत्यो के लिए क्षमा मांगिये आपकी प्रगति के मार्ग खुल जायेंगे आपके दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने की क्षमता आपके पितरो में है… इसलिए अपने से बड़े, गुरु, वृद्ध, अशक्त का कभी अपमान ना करे। A K Singh (Center For Health & Happiness) CHH

डिसक्लेमर:

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

सरल चित्त — आखिर प्रेम ही इस संसार में प्रेम को पैदा कर सकती है। A K Singh (Nirvaanamm)

इस युग में सरल चित्त (simple & unpretentious soul) खोजना अत्यंत ही मुश्किल है। जब भी सरल चित्त के बारे में आप विचार करेंगे तो ऐसा महसूस होगा कि निश्चय ही मैं तो सरल चित्त हूँ ही, सरल और सुन्दर चित्त की शुरुआत तो मुझसे ही होती है। यदि आप ऐसा सोचते हैं तो शायद इससे बड़ी विडंबना और भ्रामकता (Irony & illusion) कुछ हो ही नहीं सकती।

यदि बिल्कुल ईमानदारी से विश्लेषण (analysis) करेंगे तो आप पाएंगे कि हर एक व्यक्ति जिन्हें आप अच्छा भी मानते हैं वो भी तमाम जटिलताओं, तमाम झूठे रूपों (complexicity & Falsity) का आवरण ओढ़े हुए है, उसकी भी अन्तरतम में विभिन्न प्रकार की गांठे (knots in soul) पड़ी हुई हैं। हर एक व्यक्ति अपना जीवन किसी ना किसी एजेंडा को प्रचारित एवं प्रसारित करने में लगा हुआ है।

किसी का एजेंडा धर्म का है, किसी को अपनी जाति ऊपर करनी है, किसी को अपना अहंकार ऊपर करना है, किसी को धोखे से ज़्यादा से ज़्यादा धन कमाना है, किसी के अंदर वासना कूट-कूट करके भरी हुई है।

जीवन की सबसे बड़ी विडंबना तो इस बात में है कि आपके माता-पिता भी आपका इस्तेमाल कर रहें हैं। यदि ध्यान से सोचेंगे तो आप पाएंगे कि वस्तुतः हर एक व्यक्ति का जन्म भी इस संसार में एक षड्यंत्र (conspirasy) के तहत हुआ है, आपको इस संसार में अपने निजी स्वार्थ के कारण लाया गया है। लोग बच्चे क्यों पैदा करते है? ताकि उनका वंश आगे बढ़ता रहे, ताकि जब वो वृद्ध होये तो उनकी सेवा के लिए कोई साथ हो, जवानी में जिन उपलब्धिओं को मैं ना पा सका वो मेरा बच्चा पूरा करें !

जब आपके सब नजदीकी (closest) ही आपके साथ धोखा कर रहें हो, जब आपका जन्म ही षड्यंत्र के तहत हुआ हो तो ऐसे में जीवन दुर्घटनाग्रस्त (accidental) लगे, दुखों का अनंत सागर लगे तो ये बात बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं लगता है।

यहाँ तक कि ये बात आपने अपनी माँ से अक्सर सुना होगा कि तुझे मैंने पैदा होते ही क्यूँ ना मार दिया, तुझे मैंने 9 महीने तक अपने पेट में ढोया और तू मेरे साथ ऐसा कर रहे हो !
ये सब बातें झूठ और छलावें से भरी हुई हैं।
लोग बस अचेतन (unconsciously) बच्चे पैदा किए जा रहें हैं, उन्हें पता ही नहीं की एक नए जीवन को इस दुनिया में लाने का क्या प्रायोजन है?

मैं अपने कई मित्रों को जानता हूँ (जो कि चिकित्सक हैं ) वो ऐसा कहते हुए मिलते हैं कि उनकी कोई प्लानिंग नहीं थी बच्चा पैदा करने की, बस दुर्घटना की वजह से यह गर्भधारण (accidental pregnancy) हो गया। बड़ी आश्चर्य कि बात है कि दुर्घटना के कारण !
फ़िर कुछ लोग डॉक्टर के पास जाकर गर्भधारण करा रहें हैं। अभी देखिए हर जगह बाँझपन का इलाज करने वाली तमाम दुकानें (infertility centre) खुली हुई हैं। यहाँ दुकान शब्द सुनकर थोड़ा बुरा लगेगा लेकिन मैं ये बात किसी प्रयोजन से कह रहा हूँ।

एक बार इस बात पर विचार करियेगा कि आप अपने बच्चे को यह बात बता सकेंगे कि तुम्हारा जन्म सम्भोग (sex) के दौरान गर्भनिरोधक तरीकों के फेल (contraceptive failure) की वजह से हुआ था, तुम अकस्मात् ही इस पृथ्वी पर चले आए (accidental birth on this earth) या फ़िर तुम्हें हमने चिकित्सक की प्रयोगशाला से प्रयोग करवा के लें आए हैं।

जब जन्म ही तमाम षडयंत्रों के तहत हो रहा है तो जीवन एक मरघट (crematorium) की भाँति हो इसमें कोई संदेह नहीं है, शायद इसी वजह से सबका जीवन एक ठंढे मरुस्थल (cold dessert) की भाँति प्रतीत होता है।

निश्चय ही एक और तरीका है नए जीवन को इस पृथ्वी पर लाने का। प्रेम की छाया में।
अभी पति पत्नी में शायद ही आपको प्रेम नजर आए, लोग थोड़े दिनों में ही बिल्कुल बोर हो जाते हैं। एक ही शरीर से आप कितना आनंद उठा सकते हैं? कोई कितना भी सुन्दर हो, उसके शरीर से बोरियत हो ही जानी है।

उदाहरण के तौर पर सबसे सुन्दरतम जोड़े ऋतिक रोशन और उनकी पत्नी सुजैन खान (Hrithik Roshan and Sussaane khan) के जीवन को देख लीजिये। ऋतिक रोशन को कई बार पूरे एशिया महाद्वीप (Asian continent) का सबसे सुन्दर एवं सबसे कामुक व्यक्ति (most beautiful & sexy person) का पुरस्कार भी मिल चूका है। यहाँ तक कि उन्हें ग्रीक के भगवान (Greek God) की भी उपाधि मिली हुई है। अब ये बड़े आश्चर्य की बात है कि दो सुन्दरतम व्यक्ति भी थोड़े समय में एक दूसरे के शरीर से बोर हो जाते हैं। यही बोरियत की कहानी हर एक पति-पत्नी की है। लोग अपने जीवन के शोर शराबें एवं अकेलेपन से भागने के लिए शादी कर लेते हैं, फ़िर थोड़े दिन में मन भर जाता है, अब एक नया शोर-शराबा चाहिए – इसी कोलाहल, इसी शोर-शराबे के कारण बच्चा पैदा कर लेते हैं।

बहुतायत में शारीरिक स्तर पर प्रेम होता है, शायद ही कोई सम्बन्ध मिले जहाँ आत्मिक स्तर पर प्रेम मिले। आत्मिक स्तर पर जब प्रेम होगा तब निश्चय ही यहाँ पर भी सम्भोग (sex) होगा लेकिन वो अपार प्रेम के क्षणों में होगा (crescendo of love)। इस प्रक्रिया को सम्भोग (sex) कहना गलत होगा, इसे तो प्रार्थना (prayer) ही कहा जा सकता है और कुछ नहीं। इस प्रार्थना के उपरान्त जो बच्चा पैदा होगा, निश्चय ही उसके भीतर कृष्ण, बुद्ध, महावीर जैसे ओज़ की सम्भावना होगी। आखिर प्रेम ही इस संसार में प्रेम को पैदा कर सकती है।

डिसक्लेमर :

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी

A K Singh (Center for Health & Happiness)

VASANTAKUSUMAKARA

For Diabeties,Urinary Troubles, Loss od Albumen,Anaemia, Heart Dieases, Weakness, Lucorrohea.

Vasantakusumakara (Use this product for 45 days and find the difference)                                                           

H/L:Beats diabetes and associated complications with ease!

A host of associated complications add to its woes of the already complex Diabetic condition that manifests in various types. And if there’s one medicine that is cure-all then it is Vasantakusumakara. Known to be an effective remedy against twenty Meha (Blood Sugar) types, Vasantakusumakara excels at alleviating excessive urination, anemia, lucorrohea etc. besides catering to overall health of Diabetics. Above all, it also happens to keep your Cholesterol levels in check and helps in keeping your heart hale, healthy and hearty.

Contains Pure Gold.

Ingredients : –

Swarnabhasma, Rajatabhasma,Vangabhasma, Nagabhasma, Kantalohabhasma, Mouktikabhasma, Abhrakabhasma (sataputa), Pravalabhasma,Rasa Sindura. 

Indication :-

Helps to gives health to diabetic patients in all stages of all natures,Helps to controls all urinary troubles and loss of albumen,Helps to cure anaemia, heart disease, weakness, lucorrohea etc.

Unit of packing : 20 & 30 Tablet. 

Usage : One tablet twice daily.

वसंतकुसुमकरा 


 (इस उत्पाद को 45 दिनों तक प्रयोग करें और अंतर पाएं)

एच/एल: मधुमेह और संबंधित जटिलताओं को आसानी से मात देता है!

इससे जुड़ी कई जटिलताएं पहले से ही जटिल मधुमेह की स्थिति के संकट को बढ़ा देती हैं जो विभिन्न प्रकारों में प्रकट होती है। और अगर कोई एक दवा है तो वो वसंतकुसुमकारा है । बीस मेहा (रक्त शर्करा) प्रकारों के खिलाफ एक प्रभावी उपाय के रूप में जाना जाता है , वसंतकुसुमकारा मधुमेह रोगियों के समग्र स्वास्थ्य को पूरा करने के अलावा अत्यधिक पेशाब, एनीमिया, ल्यूकोरिया आदि को कम करने में उत्कृष्ट है। इन सबसे ऊपर, यह आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित रखता है और आपके दिल को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

शुद्ध सोना शामिल है।

सामग्री :-  स्वर्णभस्म:, रजतभस्म:, वंगभस्म:, नागभस्म:, कांतलोभास्मा, मुक्तिकाभस्म:, अभ्रकभस्म (शतपुत्र), 

प्रवलभस्म, रासा सिंदुर,। 

संकेत: मधुमेह के रोगियों को सभी प्रकार के सभी चरणों में स्वास्थ्य प्रदान करने में मदद करता है। सभी मूत्र संबंधी परेशानियों और एल्बमेन के नुकसान को नियंत्रित करने में मदद करता है। एनीमिया, हृदय रोग, कमजोरी, ल्यूकोरिया आदि को ठीक करने में मदद करता है।

पैकिंग की इकाई: 20 और 30 गोलियाँ, खुराक का रूप: गोली

उपयोग: एक गोली दिन में दो बार।

Priya Singh

Coordinator

Center For Health and Happiness

POORNACHANDRODAYA  For :-Spermatorrhea, Nervousness, Heart Weakness and Palpitation

When vitality is a concern

Sexual vitality peaks in the 20s and the adult men tend to be very active in this phase as hormonal secretion and libido are on a high. Sexual dysfunction is relegated to the realm of the middle-aged and older adult men & women.

In some cases the young adults hit a plateau sooner owing to a change in lifestyle, emotional discord, stress etc. This decrease is accompanied by eroded libido and beginning of problems of debility, premature ejaculation, erectile dysfunction etc. Sex being a basic instinct, the physical ability to do has a profound effect on the mind and vice-versa.

However, the sexual concerns can be overcome as Ayurveda is replete with natural solutions for managing sexual health and seminal disorders for all age groups of adults.

Fostering the complete remedy. 

Ayurveda has used several herbs, formulating remedies as aphrodisiacs to increase libido and strengthen the patient. VAN Ltd. has treated male sexual dysfunction problems with clinically certified procedures and medicines. These remedies not only help overcome the sexual concerns but also spell goodness to overall health of the person.

Fostering the complete remedy, VAN Ltd. , has formulated Poornachandrodaya, a proprietary medicine rooted in ayurvedic wisdom; effectively promoting vitality of young adults in age group 20 -30 years through safe and natural means. Its wholesome therapeutic properties prevent spermatorrhea, nervous weakness, palpitations and heart weakness, as well as purifying blood too.

The ingredients

From an Ayurvedic perspective, the male vitality stems from the male reproductive tissue and Poornachandrodaya is a combination of several herbs that increases libido, act as an aphrodisiac, nourishing the sexual tissue to foster vitality. Chief ingredients are Swarnabhasma , Suddha Parada and Suddha Gandhaka fortified with pure gold delivering stamina, energy and confidence. Poornachandrodaya enjoys the dual distinction of being a health tonic for both men & women of all ages.

Poornachandrodaya – Rejoice life at all times.

Contains Pure Gold.

Ingredients :-

Swarnabhasma, Suddha Parada, Suddha Gandhaka, Patchakarpur, Vanslochan (Salt), 

Vidari (Rhizome), Ikshugandha (Seed), 

Salamisri, Vangabhasma, Abhraka bhasma (Sataputa). 

Indication :

Advisable to use by one and all ages, both men and women at all times.

Helps to cure spermatorrhea, nervousness, weakness, heart weakness and palpitation.

Unit of packing : 15 Tablets, 30 Tablets

Dosage form : Tablets

Usage : One tablet per day after breakfast.


पूर्णचंद्रोदय

जब जीवन शक्ति एक चिंता है

20 के दशक में यौन जीवन शक्ति चरम पर होती है और वयस्क पुरुष इस चरण में बहुत सक्रिय होते हैं क्योंकि हार्मोनल स्राव और कामेच्छा उच्च स्तर पर होती है। यौन रोग मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध वयस्क पुरुषों और महिलाओं के दायरे में चला गया है।

कुछ मामलों में युवा वयस्क जीवनशैली में बदलाव, भावनात्मक कलह, तनाव आदि के कारण जल्दी ही एक पठार पर आ जाते हैं। यह कमी कामेच्छा में कमी और दुर्बलता, शीघ्रपतन, स्तंभन दोष आदि की समस्याओं की शुरुआत के साथ होती है। सेक्स एक मूल प्रवृत्ति है, करने की शारीरिक क्षमता का मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है और इसके विपरीत।

हालांकि, यौन चिंताओं को दूर किया जा सकता है क्योंकि आयुर्वेद सभी आयु वर्ग के वयस्कों के लिए यौन स्वास्थ्य और वीर्य संबंधी विकारों के प्रबंधन के लिए प्राकृतिक समाधानों से परिपूर्ण है।

पूर्ण उपाय को बढ़ावा देना

आयुर्वेद ने कामेच्छा बढ़ाने और रोगी को मजबूत करने के लिए कामोद्दीपक के रूप में कई जड़ी-बूटियों का उपयोग किया है। वैन लिमिटेड ने चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित प्रक्रियाओं और दवाओं के साथ पुरुष यौन रोग की समस्याओं का इलाज किया है। ये उपाय न केवल यौन चिंताओं को दूर करने में मदद करते हैं बल्कि व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।

Feelings Of Nervousness | Balanced Emotionsपूर्ण उपचार को बढ़ावा देते हुए, वैन लिमिटेड ने आयुर्वेदिक ज्ञान में निहित पूर्णचंद्रोदय, एक स्वामित्व वाली दवा तैयार की है; सुरक्षित और प्राकृतिक साधनों के माध्यम से 20-30 वर्ष आयु वर्ग के युवा वयस्कों की जीवन शक्ति को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देना। इसके लाभकारी चिकित्सीय गुण शुक्राणुशोथ, तंत्रिका संबंधी कमजोरी, धड़कन और हृदय की कमजोरी को दूर करने के साथ-साथ रक्त को शुद्ध करने में भी मदद करते हैं।

एक आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, पुरुष जीवन शक्ति पुरुष प्रजनन ऊतक से उपजी है और पूर्णचंद्रोदय कई जड़ी बूटियों का एक संयोजन है जो कामेच्छा को बढ़ाता है, एक कामोद्दीपक के रूप में कार्य करता है, जीवन शक्ति को बढ़ावा देने के लिए यौन ऊतक को पोषण देता है। मुख्य सामग्री स्वर्णभस्म, शुद्ध परदा और शुद्ध गंधक हैं जो शुद्ध सोने से मजबूत हैं जो सहनशक्ति, ऊर्जा और आत्मविश्वास प्रदान करते हैं। पूर्णचंद्रोदय को सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक स्वास्थ्य टॉनिक होने का दोहरा गौरव प्राप्त है।

पूर्णचंद्रोदय – हर समय जीवन का आनंद लें।

शुद्ध सोना शामिल है।

सामग्री :-

स्वर्णभस्म:, शुद्ध पाराद, शुद्ध गंधक, पचकरपुर, 

वानस्लोचन (नमक), विदारी (प्रकंद), इक्षुगंधा (बीज), 

सलामिस्री, वंगभस्म:, अभ्रक भस्म (शतपुत्र), एक्सीसिएंट्स।

संकेत: सभी उम्र, के पुरुषों और महिलाओं द्वारा हर समय उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

शुक्राणुशोथ, घबराहट, कमजोरी, हृदय की कमजोरी और धड़कन को ठीक करने में मदद करता है। पैकिंग की इकाई: 15 गोलियाँ, 30 गोलियाँ खुराक का रूप: गोलियाँउपयोग:-  नाश्ते के बाद प्रतिदिन एक गोली।

Priya Singh

Coordinator

Center For Health and Happiness

TRIPHALA-AYURVEDIC PROPERTIES

Description

Indication : Removes constipation. Useful as an adjunct also.

Dosage : Two tablets to be taken daily after Lunch and at night before bed.

त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है, जिसमें अमलकी (आंवला), बिभीतक (बहेडा) और हरितकी (हरड़) के बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है।

त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है “तीन फल”।

त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने वाला और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने में मदद करता है।

मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर ले।

त्रिफला चूर्ण पानी में उबालकर, शहद मिलाकर पीने से चरबी कम होती है। त्रिफला का सेवन मूत्र-संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में बहुत लाभकारी है।

त्रिफला ना ही सिर्फ पाचन शक्ति को दृढ़ बनाता है बल्कि यह पेट संबंधित कई परेशानियों को दूर भी करता है। यह कब्ज और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्या को जड़ से मिटाता है। त्रिफला आंखों के लिए टॉनिक की तरह काम करता है और आंखों के लेंस में मौजूद ग्लूटाथिओन नाम के एंटी ऑक्सीडेंट को बढ़ाता है।

 त्रिफला की तासीर गर्म होती है और गर्भावस्था में गर्म चीजों का सेवन गर्भपात का कारण भी हो सकता है। इसके अलावा वे माताएं, जो शिशु को स्तनपान कराती हैं, उन्हें भी इस चूर्ण का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके सेवन से बच्चे को दस्त लग सकते हैं।

 इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। 

त्रिफला चूर्ण को खाने का सबसे सही समय रात को सोने से पहले होता है जब आप रात में इसे पानी के साथ या फिर दूध के साथ खाते हैं तो यह आपकी आंतों को रात भर में साफ कर देता है और सुबह आपका पेट पूरी तरह से साफ हो जाता है और आपके पेट और आंतों का सारा कचरा बाहर हो जाता है जिसके कारण आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।

संकेत : कब्ज को दूर करता है। सहायक के रूप में भी उपयोगी।

पैकिंग की इकाई: 60 गोलियाँ

खुराक : दो गोली प्रतिदिन दोपहर के भोजन के बाद और रात को सोने से पहले लेनी चाहिए।

अपने धर्मग्रंथों को पढ़िए… धर्मग्रंथों की उपेक्षा धर्म को मिटाने की तैयारी है – -Naresh Kr Kaushik

✍🏻✍🏻अपने धर्मग्रंथों को पढ़िए। ये सारे राक्षसों के वध से भरे पड़े हैं। राक्षस भी ऐसे-२ वरदानों से प्रोटेक्टेड थे कि दिमाग घूम जाए।

एक को वरदान प्राप्त था कि वो न दिन में मरे, न रात में, न आदमी से मरे, न जानवर से, न घर में मरे, न बाहर, न आकाश में मरे, न धरती पर।

तो दूसरे को वरदान था कि वे भगवान भोलेनाथ और विष्णु के संयोग से उत्पन्न पुत्र से ही मरे।

तो किसी को वरदान था कि उसके शरीर से खून की जितनी बूंदे जमीन पर गिरें, उसके उतने प्रतिरूप पैदा हो जाएं।

तो कोई अपने नाभि में अमृत कलश छुपाए बैठा था। लेकिन हर राक्षस का वध हुआ।

हालांकि सभी राक्षसों का वध अलग अलग देवताओं ने अलग अलग कालखंड एवं भिन्न भिन्न जगह किया लेकिन सभी वध में एक बात कॉमन रही और वो यह कि किसी भी राक्षस का वध उसका वरदान विशेष निरस्त कर अर्थात उसके वरदान को कैंसिल कर के नहीं किया गया। ये नहीं किया गया कि, तुम इतना उत्पात मचा रहे हो इसीलिए तुम्हारा वरदान कैंसिल कर रहे है और फिर उसका वध कर दिया। बल्कि हुआ ये कि देवताओं को उन राक्षसों को निपटाने के लिए उसी वरदान में से रास्ता निकालना पड़ा कि इस वरदान के मौजूद रहते हम इनको कैसे निपटा सकते हैं, और अंततः कोशिश करने पर वो रास्ता निकला भी सब राक्षस निपटाए भी गए।

तात्पर्य यह है कि परिस्थिति कभी भी अनुकूल होती नहीं है, अनुकूल बनाई जाती हैं।

आप किसी भी एक राक्षस के बारे में सिर्फ कल्पना कर के देखें कि अगर उसके संदर्भ में अनुकूल परिस्थिति का इंतजार किया जाता तो क्या वो अनुकूल परिस्थिति कभी आती ??

उदाहरण के लिए चर्चित राक्षस रावण को ही ले लेते हैं। रावण के बारे में ये विवशता कही जा सकती थी कि भला रावण को कैसे मार पाएंगे? पचासों तीर मारे और बीसों भुजाओं व दसों सिर भी काट दिए लेकिन, उसकी भुजाएँ व सिर फिर जुड़ जाते हैं तो इसमें हम क्या करें ??

इसके बाद अपनी असफलता का सारा ठीकरा ऐसा वरदान देने वाले ब्रह्मा पर फोड़ दिया जाता कि उन्होंने ही रावण को ऐसा वरदान दे रखा है कि अब उसे मारना असंभव हो चुका है और फिर ब्रह्मा पर ये भी आरोप डाल दिया जाता कि जब स्वयं ब्रह्मा रावण को ऐसा अमरत्व का वरदान देकर धरती पर राक्षस-राज लाने में लगे हैं तो भला हम कर भी क्या सकते हैं?

लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि भगवान राम ने उन वरदानों के मौजूद रहते हुए ही रावण का वध किया।

क्योंकि यही “सिस्टम” है। तो पुरातन काल में हम जिसे वरदान कहते हैं आधुनिक काल में हम उसे संविधान द्वारा प्रदत्त स्पेशल स्टेटस कह सकते हैं जैसे कि अल्पसंख्यक स्टेटस, पर्सनल बोर्ड आदि आदि।

इसीलिए आज भी हमें राक्षसों को इन वरदानों (स्पेशल स्टेटस) के मौजूद रहते ही निपटाना होगा जिसके लिए इन्हीं स्पेशल स्टेटस में से लूप-होल खोजकर रास्ता निकालना होगा और आपको क्या लगता है कि इनके वरदानों (स्पेशल स्टेटस) को हटाया जाएगा।

क्योंकि, हमारे पौराणिक धर्मग्रंथों में ऐसा एक भी साक्ष्य नहीं मिलता कि किसी राक्षस के स्पेशल स्टेटस (वरदान) को हटा कर पहले परिस्थिति अनुकूल की गई हो तदुपरांत उसका वध किया गया हो।

और जो हजारों लाखों साल के इतिहास में कभी नहीं हुआ अब उसके हो जाने में संदेह लगता है।

परंतु हर युग में एक चीज अवश्य हुई है और, वो है राक्षसों का विनाश एवं, सनातन धर्म की पुनर्स्थापना।

इसीलिए इस बारे में जरा भी भ्रमित न हों कि ऐसा नहीं हो पायेगा।

लेकिन घूम फिर कर बात वहीं आकर खड़ी हो जाती है कि भले ही त्रेतायुग के भगवान राम हों अथवा द्वापर के भगवान श्रीकृष्ण।

राक्षसों के विनाश के लिए हर किसी को जन- सहयोग की आवश्यकता पड़ी थी और जहाँ तक धर्मग्रंथों का सार की बात है तो वो भी यही है कि हर युग में राक्षसों के विनाश में सिर्फ जनसहयोग की आवश्यकता पड़ती है।

ये इसीलिए भी पड़ती है ताकि राक्षसों के विनाश के बाद जो एक नई दुनिया बनेगी उस नई दुनिया को उनके बाद के लोग संभाल सके, संचालित कर सकें। नहीं तो इतिहास गवाह है कि बनाने वालों ने तो भारत में आकाश छूती इमारतें और स्वर्ग को भी मात देते हुए मंदिर बनवाए थे।

लेकिन उसका हश्र क्या हुआ ये हम सब जानते हैं। इसलिए राक्षसों का विनाश जितना जरूरी है। उतना ही जरूरी उसके बाद उस धरोहर को संभाल के रखने का भी है।

और अभी शायद उसी की तैयारी हो रही है अर्थात सभी समाज को गले लगाया जा रहा है और माता शबरी को उचित सम्मान दिया जा रहा है।

वरना, सोचने वाली बात है कि जो रावण पंचवटी में लक्ष्मण के तीर से खींची हुई एक रेखा तक को पार नहीं कर पाया था भला उसे पंचवटी से ही एक तीर मारकर निपटा देना क्या मुश्किल था ??

अथवा जिस महाभारत को श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र के प्रयोग से महज 5 मिनट में निपटा सकते थे भला उसके लिए 18 दिन तक युद्ध लड़ने की क्या जरूरत थी ??

लेकिन रणनीति में हर चीज का एक महत्व होता है जिसके काफी दूरगामी परिणाम होते हैं।

इसीलिए कभी भी उतावलापन नहीं होना चाहिए और फिर वैसे भी कहा जाता है कि जल्द काम शैतान का। क्योंकि, ये बात अच्छी तरह मालूम है कि रावण, कंस, दुर्योधन, रक्तबीज और हिरण कश्यप आदि का विनाश तो निश्चित है तथा यही उनकी नियति है !!

लंका जल रही है, अयोध्या सज रही है और शबरी राष्ट्रपति बन रही है इतिहास से सीख लेकर कार्य जारी है!

जय महाकाल, जय सनातन जय मौलिक भारत !!!

नोट : धर्मग्रंथ रोज सुबह नहा धो कर सिर्फ पुण्य कमाने के उद्देश्य से पढ़ने के लिए ही नहीं होते। बल्कि, हमारे धर्मग्रंथों के रूप में हमारे पूर्वज/देवताओं ने अपने अनुभव हमें ये बताने के लिए लिपिबद्ध किया ताकि आगामी पीढ़ी ये जान सके कि अगर फिर कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो उससे कैसे निपटा जाए।
🙏🏻🚩🔮🚩🙏🏻

Naresh Kumar Kaushik – Center For Health & Happiness

डिसक्लेमर:

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

आयुर्वेद में खानपान के जिन सूत्रों को उपयोगी बताया गया है उनकी अनदेखी आज शरीर और स्वास्थ्य के लिए जहर साबित होने लगा है।-CHH

भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में खानपान के जिन सूत्रों को उपयोगी बताया गया है उनकी अनदेखी आज शरीर और स्वास्थ्य के लिए जहर साबित होने लगा है। एक अध्ययन के मुताबिक आधुनिक अनियमित जीवनशैली ने कम उम्र में ही पाचन तंत्र से संबंधित कैंसर का खतरा बढ़ा दिया है।

एक अध्ययन के अनुसार पूरे विश्व में 14 तरह के कैंसर दिन प्रतिदिन बहुत तेजी से फ़ैल रही है। इनमें आठ प्रकार के पाचन तंत्र से संबंधित कैंसर हैं। अध्ययन के मुताबिक 50 से कम उम्र के लोगो को यह बीमारी तेजी से जकड़ रही है। प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, मिठा पेय, अल्कोहल, धूम्रपान, मोटापा, टाइप-2 मधुमेह, गतीहिन् जीवन शैली जैसे जोखिम कारक कैंसर जैसी बीमारियों को बढाती जा रही है।

प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद विज्ञान के आचार्य बागभट्ट के सिद्धांत के अनुसार हित भुक्, मित भुक्, ऋतु भुक् पर जोर दिया गया है। हित भुक् यानी उम्र और शरीर का हितैषी भोजन, जबकि मित भुक् का अर्थ है कम खाना। इसी प्रकार ऋतु भुक् का मतलब है मौसम के अनुसार भोजन।

आयुर्वेद के अनुसार शरीर स्वयं डॉक्टर है। शरीर अधिकांश रसायन का अपने आप निर्माण करती है। प्राकृतिक और औषधीय गुणों से युक्त भोजन ही सबसे बड़ी औषधी है। आपका शरीर बहुमुल्य है। इसको स्वस्थ और सुंदर रखने की जिम्मेदारी हमें स्वयं लेनी होगी।

धन्यबाद

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Chiranjeev Mishra (Ayurveda Conultant) Center For Health & Happiness